कोर्स 03 - गतिविधि 1 - अपने विचार साझा करें

 ‘खुशी’ शब्द के बारे में सोचें। जो आपके दिमाग में तुरंत आए उसे साझा करें। यदि कोई व्यक्ति ‘खुशी’ के बारे में कुछ साझा करता है, जो आपके द्वारा साझा किए गए से बिलकुल अलग है तो आपको कैसा लगेगा? इस अंतर के क्या कारण हो सकते हैं? अपनी समझ साझा करें।


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  1. खुशी शब्द के बारे मे सोचें

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    1. मुझे सबसे ज्यादा ख़ुशी तब महसूस होती है जब मैं अपना कार्य संपन्न कर लेता हूँ. यदि कार्य में सफलता मिली तो और ज्यादा ख़ुशी होती है. दूसरों की मदद करने पर भी बहुत ख़ुशी होती है. मेरी वजह से किसी का कष्ट दूर हो, उसे सफलता मिले तो भी ख़ुशी होती है. निष्कर्ष रूप में हम कह सकते हैं की ख़ुशी मन का ऐसा भाव् है जो सकारात्मक कार्य करने पर उमड़ता है.

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    2. खुशी एक ऐसा भाव है जो किसी कार्य को पूर्ण या किसी उद्देश्य की प्राप्ति के बाद महसूस होता है। दूसरो को प्रसन्न रखने की कोशिश मात्र से यह भाव प्रकट हो उठता है ।

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    3. खुशी का अर्थ है,मन से अच्छा और संतुष्ट महसूस होना

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    4. HAPPINES is an internal feeling of emotions ,emotion comes out when we feel happiness

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    5. khushi man ki antardasha hai jo bahar aane par kushi me badal jathi jab samvad mnonukul hota hai

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  2. खुशी मन का एक भाव है,जब मन को कुछ अच्छा लगता है, तब ये भाव प्रकट होता है। कुछ व्यक्ति इसे बाहरी रूप में प्रकट करते हैं और कुछ आंतरिक रूप में। खुशी के बारे में सबकी अलग-अलग अवधारणा हो सकती है, जिस समय हम कुछ सोचते हैं ,दूसरा दूसरी तरह से सोचता है। हमें सब के विचारों का सम्मान करना चाहिए आवश्यक नहीं कि हम जो विचार सोच रहे हैं दूसरा भी वह सोचे और वही सही हो। दूसरा जिस तरह से विचार प्रकट कर रहा है उससे मुझे किसी तरह की आपत्ति नहीं होगी ।विचार परिस्थिति,मन:स्थिति के अनुसार उत्पन्न होते हैं , हो सकता है दूसरे का परिवेश उसकी परिस्थितियां; मेरी परिस्थिति मेरे परिवेश से भिन्न हो तो उसका विचार दूसरे रूप में प्रकट हो सकता है, उस परिवेश के अनुसार वह सही है । मैं अपने परिवेश के अनुसार विचार प्रकट कर रहा हूं ,मेरा दृष्टिकोण मेरे परिवेश के अनुरूप है।दोनों के नजरिए से देखा जाए तो दोनों ही अपनी अपनी जगह सही हैं।
    कर्मबीर सिंह

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  3. यदि हम मानशिक रूप से स्वस्थ है, हमें किसी बात की चिंता नहीं है, अपना सभी काम पूर्ण कर लिया है. दुसरो के प्रति सहानभूति रखते है तो हम निश्चित रूप से खुश है

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  4. खुशी मन काआंतरिक भाव है जो स्वत: ही व्यक्ति के चेहरे पर प्रकट होता है ,जो कि बनाबटी नहीं होता है I

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  5. All students should not measure in one parameter. each students have their unique quality. they should be given with scope to develop individually.

    H padhan kv bargrah

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  6. ख़ुशी मन से निकलती है वह बनावटी नहीं होती वह व्यक्ति के व्यवहार से प्रकट होता हैं

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  7. करोना के समय पर यह कोर्स विद्यार्थियों और शिक्षको के लिए बहुत ही लाभकारी है

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  8. खुशी... तब होती है जब हम खुश होते है।
    जब हमे कुछ अच्छा लगता है।

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  9. खुशी एक नितांत व्यक्तिगत शब्द है । जो हमारे दृष्टिकोण और परिस्थितियों पेट निर्भर है ।

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  10. with the help of WhatsApp and online teaching I was in touch with each and every student of my class and I have morally boosted them not to fear with corona ,be strong and be brave . With the help of online teaching I was able to explain each and every topic and had also send the PDF as an online material so that they can go through all the topics more clearly .

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  11. ख़ुशी आत्मा का एक स्वाभाविक गुण है जो हम सबके अंदर मूलरूप से विद्यमान है | बस जरुरत है हमे उसे खोजने की | जिसके ऊपर काम ,क्रोध,लोभ ,मोह अहंकार का आवरण पड़ा हुआ है | जिस दिन हम ये आवरण हटा देंगे ख़ुशी जाग्रत हो जायेगी |

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  12. खुशी शब्द रूप व्यक्ति के मनोभाव को प्रकट करने की भावना है। व्यक्ति अनेक कारणों से खुश हो सकता है ।उसके कुछ मानसिक कारण भी हो सकते हैं ,सामाजिक कारण भी हो सकते हैं ,उपलब्धि परक कारण भी हो सकते हैं या कुछ और अन्य कारण हो सकता हैं।

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  13. खुशी शब्द को सुनते ही लगता है जैसे अपनो का मिलना , कोई त्यौहार, शादी आदि या मैंने या मेरे अपने ने कोई ऐसा काम किया है जो सबके लिए अच्छा है . किसी के लिए खुशी शब्द अन्य भाव लाए तो मुझे कोई आश्सचर्कय नहीं होगा क्योंकि वह इसे अलग परिप्रेक्ष्य में देख रहा हो सकता है.

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  14. किसी भी वस्तु , स्थिति , दृश्य, इत्यादि को देखकर जब हमारा मन एवं मस्तिष्क संतुष्टि के साथ प्रफुल्लित हो उठे , वही खुशी है l यदि कोई व्यक्ति खुशी के बारे में कुछ साझा करता है , जो कि हमारे विचार से अलग हो तो इसमें हमें अच्छा ही लगेगा क्योंकि हर क्यक्ति का अपना अलग नजरिया या दृष्टिकोण होता है और उसके भिन्न नजरिये को जानने के बाद अब हमारे पास भी एक नया नजरिया है उसी खुशी को अनुभव कररने का l

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  15. खुशी एक मनोभाव है, जो परिस्थितियों को अपने या अपने सामाजिकों के अनुकूल पाकर या इनमेंं से किसी की उपलब्धि पर प्रकट होता है। यदि कोई व्यक्ति मुझसे अलग विचार रखता है तो मैं उनके विचारों का सम्मान करूंगा। इस अंतर का कारण सामाजिक परिवेश विशेष में अनुभव या भिन्न दृष्टिकोण है।

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  16. खुशी या प्रसन्नता को अन्तरात्मा से अनुभव किया जाता है।

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  17. खुशी आतंरिक होती हैं..बाहरी नहीं| बाहरी चीजों से जो प्राप्त होती हैं वह क्षणिक हैं.......लेकिन आतंरिक तत्व से जोखुशी का अनुभव होती हैं वह शास्वत हैं|

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  18. खुशी का अर्थ है,मन से अच्छा और संतुष्ट महसूस होना

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  19. खुशी मतलब आंतरिक प्रफुल्लता महसूस करना

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  20. खुशी मन की वह स्थिति है जिसमें इंसान आनंद की अनुभूति करता है

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  21. खुशी का अर्थ है एसी मनस्थिति जो जीवन की वास्तविकता एवं सुंदरता का अनुभव कराती है |

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  22. यदि हम अपने अनुभव को दूसरों के साथ शेयर करते हैं और हमारे अनुभाव से उन्हें अभूतपूर्व सफलता प्राप्त होती है तो हमे बहुत अधिक खुशी मिलती है l

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  23. खुशी सबकी व्यक्तिगत होती है अतः प्रत्येक व्यक्ति के लिए खुशी के भिन्न-भिन्न आधार हो सकते हैं यह भिन्न आधार ही उसे व्यक्तिगत रूप से उसके मान्यताओं, अवधारणाओं और रूचि के आधार पर व्यक्ति, वस्तु आदि के प्रति सुखद एहसास कराती है।

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  24. खुशी मन का एक भाव है,जब मन को कुछ अच्छा लगता है, तब ये भाव प्रकट होता है। कुछ व्यक्ति इसे बाहरी रूप में प्रकट करते हैं और कुछ आंतरिक रूप में। खुशी के बारे में सबकी अलग-अलग अवधारणा हो सकती है, जिस समय हम कुछ सोचते हैं ,दूसरा दूसरी तरह से सोचता है। हमें सब के विचारों का सम्मान करना चाहिए आवश्यक नहीं कि हम जो विचार सोच रहे हैं दूसरा भी वह सोचे और वही सही हो। दूसरा जिस तरह से विचार प्रकट कर रहा है उससे मुझे किसी तरह की आपत्ति नहीं होगी ।विचार परिस्थिति,मन:स्थिति के अनुसार उत्पन्न होते हैं , हो सकता है दूसरे का परिवेश उसकी परिस्थितियां; मेरी परिस्थिति मेरे परिवेश से भिन्न हो तो उसका विचार दूसरे रूप में प्रकट हो सकता है, उस परिवेश के अनुसार वह सही है । मैं अपने परिवेश के अनुसार विचार प्रकट कर रहा हूं ,मेरा दृष्टिकोण मेरे परिवेश के अनुरूप है।दोनों के नजरिए से देखा जाए तो दोनों ही अपनी अपनी जगह सही हैं।

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  25. किसी भी वस्तु , स्थिति , दृश्य, इत्यादि को देखकर जब हमारा मन एवं मस्तिष्क संतुष्टि के साथ प्रफुल्लित हो उठे , वही खुशी है l यदि कोई व्यक्ति खुशी के बारे में कुछ साझा करता है , जो कि हमारे विचार से अलग हो तो इसमें हमें अच्छा ही लगेगा क्योंकि हर क्यक्ति का अपना अलग नजरिया या दृष्टिकोण होता है।यदि कोई व्यक्ति मुझसे अलग विचार रखता है तो मैं उनके विचारों का सम्मान करुँगी।। इस अंतर का कारण सामाजिक परिवेश विशेष में अनुभव या भिन्न दृष्टिकोण है।

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  26. जो चाहो वो मिल जाए यही खुशी शब्द का सही मतलब है।

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  27. हर आदमी के सोंचने का ढंग अलग होता है। आदमी परिस्थिति एवं समय के अनुसार दुखी या खुश होता है। हर आदमी का परिवेश एवं दृष्टिकोण अलग होता है। जिस समय हम खुश हो उस समय दूसरा भी खुश हो ये ज़रूरी नहीं इसलिए हर आदमी का उसकी परिस्थिति के अनुसार सम्मान करना चाहिए।

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  28. जिस काम को करने के बाद एक अद्भुत आनंद मिलता है वही सच्ची ख़ुशी है |

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  29. खुशी मानव मन का एक भाव है जो अनुकूल परिस्थिति पाकर बाहर प्रकट होता है | खुशी का आधार विविधतापूर्ण होता है | कभी पक्षियों का कलरव और बच्चे की मुस्कान हमें खुशी देती है तो कभी दूसरों की मदद करने में ही अपर हर्ष का एहसास होता है तो कभी हमारी उपलब्धियाँ हमें खुशी प्रदान करती हैं | संतान के आगमन की सूचना, नौकरी प्राप्ति का संदेश तथा बच्चों का संतोषजनक परीक्षा-परिणाम मुझे खुशी प्रदान करता है |
    विचारों में वैयक्तिक भिन्नता होती है | यदि किसी के विचार मुझसे भिन्न हुए तो मैं उसके विचारों का सम्मान करूँगी और उसके पक्ष को भी जानना चाहूँगी | व्यक्ति के विचार अनुभवजन्य, परिस्थिति व परिवेश से प्रभावित होते हैं | विचारों की भिन्नता हमारे चिंतन को नए आयाम प्रदान करती है |

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  30. किसी भी वस्तु , स्थिति , दृश्य, इत्यादि को देखकर जब हमारा मन एवं मस्तिष्क संतुष्टि के साथ प्रफुल्लित हो उठे , वही खुशी है l

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  31. खुशी मन का आंतरिक भाव है जो स्वत: व्यक्ति के चेहरे पर प्रकट होता है , जो कि बनाबटी नहीं हो सकता है I

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  32. मनोवांछित कार्य संपन्न होने पर जो आनन्द मिलता है वह खुशी है

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  33. खुशी मन का भाव है जो स्वत: ही व्यक्ति के चेहरे एवं हावभाव द्वारा प्रकट होता है ,जो कि बनावटी नहीं होता है I

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  34. खुशी शब्द से अभिप्राय आनंद के क्षण से है। यदि कोई व्यक्ति खुशी शब्द के बारे में बिल्कुल अलग विचार साझा करता है तो मुझे अच्छा लगेगा। मैं उसके विचार को स्वीकार कर लूंगा। इस अंतर का कारण परिस्थिति और मन:स्थिति का अलग होना हो सकता है।

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  35. खुशी शब्द का अर्थ हर किसी के लिए अलग अलग होता है । हर दूसरे व्यक्ति का विचार मेरे विचार से भिन्न होगा। यह भिन्नता लोगों के सामाजिक आर्थिक स्थिति pr निर्भर करता है जिसे उतनी ही समानता देनी चाहिए।

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  36. खुशी मनुष्य को वास्तविकसुंदरता का अनुभव करती है|जिस कम को करने से एक अद्भुत मानसिक आनंदानुभूति होती है वह सच्चे मायने में खुशी है |

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  37. Iam very happy when i completed my work
    GOVIND SONGARA

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  38. मुझे सबसे ज्यादा ख़ुशी तब महसूस होती है जब मैं अपना कार्य संपन्न कर लेता हूँ. यदि कार्य में सफलता मिली तो और ज्यादा ख़ुशी होती है. दूसरों की मदद करने पर भी बहुत ख़ुशी होती है. मेरी वजह से किसी का कष्ट दूर हो, उसे सफलता मिले तो भी ख़ुशी होती है. निष्कर्ष रूप में हम कह सकते हैं की ख़ुशी मन का ऐसा भाव् है जो सकारात्मक कार्य करने पर उमड़ता है.

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  39. किसी कार्य को कुशलता पूर्वक संपन्न करने, जरूरतमंद लोगों की मदद करने तथा प्रोत्साहन आने पर मुझे खुशी मिलती है। यदि किसी व्यक्ति के विचार इस संदर्भ में मुझसे अलग हैं तो यह उसके व्यक्तिगत मूल्य, उसके पालन-पोषण, उसकी सामाजिक आर्थिक स्थिति के कारण भिन्न हो सकते हैं। हमें उनका भी सम्मान करना चाहिए।

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  40. August 2021 at 06:02
    खुशी शब्द का अर्थ हर किसी के लिए अलग अलग होता है । हर दूसरे व्यक्ति का विचार मेरे विचार से भिन्न होगा। यह भिन्नता लोगों के सामाजिक आर्थिक स्थिति pr निर्भर करता है जिसे उतनी ही समानता देनी चाहिए।

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  41. प्रसन्नता मन काआंतरिक भाव है जो स्वत: ही व्यक्ति के चेहरे पर प्रकट होता है

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  42. Happiness is an internal feeling. The way of expressing it may be different for different peoples.It also depend how we perceive ,reflect and react in various situations.

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  43. खुश होने के कारण अलग अलग हो सकते हैं। खुशी को महसूस करने का तरीका भी अलग हो सकता है। परंतु सभी के लिए ये एक सुखद एहसास है। इसलिए किसी को खुश देखकर स्वयं को भी खुशी होती है।

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  44. खुशी मन का भाव है ।जिसे हम भीतर से महसूल कर सकते है ।

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  45. खुशी शब्द से मेरे मन में प्रसन्नता का भाव उत्पन्न होता है । प्रसन्नता मुझे मेरे कार्य को अच्छी तरह पूरा करके मिलती है ।

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  46. खुशी एक ऐसा भाव है जो किसी कार्य को पूर्ण या किसी उद्देश्य की प्राप्ति के बाद महसूस होता है। दूसरो को प्रसन्न रखने की कोशिश मात्र से यह भाव प्रकट हो उठता है ।

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  47. चिंता रहित मन हमेशा खुशी का अनुभव करता है |अगर मैँ ने अपना कार्य सफलता पूर्वक पूरा किया है तो मैँ बेहद खुश हो जाती हूँ | l

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  48. When we feel mentally satisfied by doing any task and make someone happy and feel good for others that shows the sign of happiness

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  49. When we feel mentally relaxed after completing any task and make someone happy..

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  50. HAPPINESS COMES FROM INNATE OF INDIVIDUAL ,IT GIVES PLEASURE NOT ONLY INDIVIDUAL BUT ALSO ONE'S SURROUNDINGS

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  51. भागदौड़ के जीवन में जो खुश है वह भाग्यशाली है

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  52. व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों से व्यक्ति का चारित्रिक विकास होता है. शिक्षक के सानिध्य में आने से इन गुणों में आंशिक परिवर्तन संभव है लेकिन विद्यार्थी जिस समाज में और जितना ज्यादा समय तक रहता है उसका प्रभाव ज्यादा रहता

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  53. खुशी एक सकारात्मक भावना है जो आपको अच्छा और संतुष्ट महसूस कराती है l

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  54. परिवार, समाज, मित्रों के बीच जीवन जीना खुशी है... इसमें जिम्मेदारी भी है, कर्तव्य भी और सह संबंधों का निर्वाह भी...

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  55. जब कार्य में में सफलता मिलती है ,तब मैँ ज्यादा ख़ुश हो जाती हूं | किसी जटिल समस्या का समाधान खोज निकाला तो बेहद खुश हो जाती हूं |

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  56. मुझे सबसे ज्यादा ख़ुशी तब महसूस होती है जब मैं अपना कार्य पूर्ण हो जाता है . यदि कार्य में सफलता मिली तो और ज्यादा ख़ुशी होती है. दूसरों की मदद करने पर भी बहुत ख़ुशी होती है. मेरी वजह से किसी का कष्ट दूर हो, उसे सफलता मिले तो भी ख़ुशी होती है. निष्कर्ष रूप में हम कह सकते हैं की ख़ुशी मन का ऐसा भाव् है जो सकारात्मक कार्य करने पर उमड़ता है.

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  57. जब मेरी वजह से किसी के उदास चेह्ररे पर मुसकान आ जाती है तब मुझे खुशी होती है

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  58. My teaching received by students in the spirit intended by me gives me happiness.

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  59. खुशी ही परम आनंद की भावना है जिसे सभी प्राप्त करना चाहते हैं। सबसे अच्छा भाव तो यह है कि खुश रहें और दूसरों को भी खुशी दें।

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  60. खुशी मन का
    आंतरिक भाव है जो स्वत: ही व्यक्ति के चेहरे पर प्रकट होता है ,जो कि बनाबटी नहीं होता है I

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  61. खुशी एक मन का भाव है। जिस प्रकार एक छोटे बच्चे को खिलौना मिल जाने पर वह बहुत ख़ुशी हो जाते वही उससे
    उम्र मे बड़ा बच्चा उस खिलौने से खुश नही होता । इसलिए हर व्यक्ति का खुश होने का अलग अलग स्तर होता है ।

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  62. खुशी एक नितांत व्यक्तिगत शब्द है । जो हमारे दृष्टिकोण और परिस्थितियों पर निर्भर है ।

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  63. happiness is a good feeling ,when people achieve their goal or target they themself feel happy.

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  64. खुशी एक प्रकार का मन का आह्लाद है। जब हम खुश होते हैं, तो हमारा शरीर रोमांचित हो जाता है। चेहरा प्रसन्नचित्त हो जाता है । जब कोई व्यक्ति खुशी के बारे में मुझसे अलग सोच साझा करता है तो मुझे आश्चर्य जरूर होता है, साथ ही यह जिज्ञासा भी बढ़ती है कि वह ऐसा क्यों सोचता है, और मेरी और उसकी सोच में कौन सी सोच श्रेष्ठतम है और क्यों ? इस जानकारी को हासिल करने के लिए मैं अक्ल के घोड़े दौड़ाने लगता हूँ।परिणामस्वरूप अक्सर मुझे महसूस होता है कि इस अंतर के पीछे मेरी और उसकी अवधारणाएं, सामाजिक एव॔ वातावरण संबंधी परिवेश,परिवारिक व धार्मिक पृष्ठभूमि और शिक्षा का स्तर आदि घटक काम करते हैं।

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  65. खुशी मन का एक भाव है,जब मन को कुछ अच्छा लगता है, तब ये भाव प्रकट होता है। कुछ व्यक्ति इसे बाहरी रूप में प्रकट करते हैं और कुछ आंतरिक रूप में। खुशी के बारे में सबकी अलग-अलग अवधारणा हो सकती है, जिस समय हम कुछ सोचते हैं ,दूसरा दूसरी तरह से सोचता है। हमें सब के विचारों का सम्मान करना चाहिए आवश्यक नहीं कि हम जो विचार सोच रहे हैं दूसरा भी वह सोचे और वही सही हो

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  66. kisi doosare ki madad karke bahut khushi milti hai

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