विद्यालय के विद्यार्थियों में नेतृत्व भाव को जगाना आवश्यक है क्योंकि जबतक विद्यार्थी में नेतृत्व का भाव नहीं आता तब तक वह सफल लीडर नहीं बन पाता है| विद्यार्थो को टीम वर्क के साथ नेतृत्व करना आना चाहिए|
माध्यमिक स्तर पर विद्यालय के विद्यार्थियों मे वर्तमान दौर में ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मोबाइल का प्रयोग बहुत बढ़ गया है। इस कारण से साइबर सुरक्षा व शिक्षा की जरूरत ज्यादा महसूस की जा रही है। सामान्यत: किशोर अवस्था के विद्यार्थियों को अच्छे-बुरे का ज्ञान नहीं होता है और इसी अज्ञानता के चलते कई बार वे साइबर क्राइम के जाल में फंस जाते हैं। इसलिए उनमे साइबर सुरक्षा से जुड़ी जानकारी का होना आवश्यक है |
वर्तमान परिस्थितियों स्वयं में चुनौतीपूर्ण हैं | विद्यार्थी वर्ग भी इससे अछूता नहीं है | झंझावात के थपेड़ों ने अधिगम प्रक्रिया को भी प्रभावित किया है | पारिवारिक पृष्ठभूमि, आर्थिक परिस्थितियाँ, सहपाठियों का दबाव, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य और आसपास का माहौल सभी अधिगम को प्रभावित करते हैं | जहां तक वर्तमान प्रतिकूल परिस्थितियों का प्रश्न है, विद्यार्थियों के लिए साइबर अपराध से स्वयं को सुरक्षित रखना बहुत बड़ी चुनौती है | कोरोना काल में साइबर अपराध बहुत तेज़ी से बढ़े हैं और ऑनलाइन शिक्षण में विद्यार्थी मोबाइल और इंटरनेट का प्रयोग बहुतायत से करने लगे हैं | व्यावहारिक ज्ञान के अभाव के कारण ये साइबर अपराध के शिकार बड़ी आसानी से बन जाते हैं | लॉकडाउन के पश्चात स्वयं को विद्यालयी परिस्थितियों में समायोजित करना भी उनके अधिगम की दिशा में चुनौतीपूर्ण है |
माध्यमिक स्तर पर विद्यालय के विद्यार्थियों मे वर्तमान दौर में ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मोबाइल का प्रयोग बहुत बढ़ गया है। इस कारण से साइबर सुरक्षा व शिक्षा की जरूरत ज्यादा महसूस की जा रही है। सामान्यत: किशोर अवस्था के विद्यार्थियों को अच्छे-बुरे का ज्ञान नहीं होता है और इसी अज्ञानता के चलते कई बार वे साइबर क्राइम के जाल में फंस जाते हैं। इसलिए उनमे साइबर सुरक्षा से जुड़ी जानकारी का होना आवश्यक है
विद्यार्थी अधिगम के संदर्भ में हमारे माध्यमिक विद्यालय के विद्यार्थियों में स्वानुशासन की कमी है, उन्हें स्वानुशासित रहने के लिए प्रेरित करना पड़ता है, लेकिन इस प्रेरणा का प्रभाव क्षणिक रहता है , जिससे शिक्षकों की ज्यादातर ऊर्जा और समय बच्चों को बार-बार स्वानुशासित बनाने में निकल जाते हैं, क्योंकि आजकल विद्यार्थी वीडियो गेम , सोशल मीडिया और अन्य इंटनेट के व्यसनों में व्यस्त रहते हैं फलस्वरूप अपने पर संयम बरतने में असफल रहते हैं।
विद्यार्थियों में स्वानुशासन एवं स्वकर्तव्य बोध विकसित हो इस तरह का कोई भी प्रयास किसी भी स्तर के पाठ्यक्रम में सन्नहित नही है. केवल सूचना आधारित शिक्षा बच्चे को जड़ता की ओर ले जाती है. विद्यार्थी में नैतिक और स्वात्मबोध विकसित किये बिना न सही से पढ़ाया जा सकता है न ही उसे एक श्रेष्ठ मानवीय गुणों से युक्त कर्तव्यनिष्ठ नागरिक बनाया जा सकता है. विद्यालयों में ऐसा वातावरण निर्माण हुआ है कि विद्यार्थी छोटीं- छोटी बातों को भी बिना कहे स्वयं नहीं करतें . विद्यार्थी स्वयं सही का नेतृत्व स्वयं करना सीखे यह नितांत आवश्यक है.
द्यार्थी अधिगम के संदर्भ में हमारे माध्यमिक विद्यालय के विद्यार्थियों में स्वानुशासन की कमी है, उन्हें स्वानुशासित रहने के लिए प्रेरित करना पड़ता है, लेकिन इस प्रेरणा का प्रभाव क्षणिक रहता है , जिससे शिक्षकों की ज्यादातर ऊर्जा और समय बच्चों को बार-बार स्वानुशासित बनाने में निकल जाते हैं, क्योंकि आजकल विद्यार्थी वीडियो गेम , सोशल मीडिया और अन्य इंटनेट के व्यसनों में व्यस्त रहते हैं फलस्वरूप अपने पर संयम बरतने में असफल रहते हैं।
किसी भी स्तर के पाठ्यक्रम में विद्यार्थियों में स्वानुशासन विकसित हो इस तरह का कोई भी प्रयास नही है, आजकल विद्यार्थी सोशल मीडिया और इंटनेट में व्यस्त रहते हैं फलस्वरूप विद्यार्थियों में स्वानुशासन की कमी है
विद्यार्थियों में यह क्षमता विकसित करना कि वे उपलब्ध संसाधनों मे सही का चुनाव कर सकें, वे मोंबाइल ,सोशल मीडिया और अन्य इंटनेट माधयम का संयमित, सुरक्षित एवम् उचित प्रयोग कर सकें।
सामान्यत: किशोर अवस्था के विद्यार्थियों को अच्छे-बुरे का ज्ञान नहीं होता है ।पारिवारिक पृष्ठभूमि, आर्थिक परिस्थितियाँ, सहपाठियों का दबाव, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य और आसपास का माहौल सभी अधिगम को प्रभावित करते हैं |विद्यार्थी वीडियो गेम , सोशल मीडिया और अन्य इंटनेट के व्यसनों में व्यस्त रहते हैंऔर इसी अज्ञानता के चलते कई बार वे साइबर क्राइम के जाल में फंस जाते हैं।
Identify any innovative practice being carried out in your state/UT/organisation that can act as an example or be a role model for other parts of the country. Share your reflections.
Considering your classroom practices, state three ways in which you conduct several assessment practices? Are these practices planned, designed and implemented by yourself or are these structured at different levels and assigned to you by the school authorities or board of education? Suppose you want to change these existing assessment strategies then suggest an alternative way you plan and implement on your own and it is not directed from the higher authorities.
आपके अनुसार विद्यार्थी अधिगम के संदर्भ में आपके माध्यमिक विद्यालय में मौजूदा चुनौतियाँ क्या हैं
ReplyDeleteविद्यालय के विद्यार्थियों में नेतृत्व भाव को जगाना आवश्यक है क्योंकि जबतक विद्यार्थी में नेतृत्व का भाव नहीं आता तब तक वह सफल लीडर नहीं बन पाता है| विद्यार्थो को टीम वर्क के साथ नेतृत्व करना आना चाहिए|
ReplyDeleteमाध्यमिक स्तर पर विद्यालय के विद्यार्थियों मे वर्तमान दौर में ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मोबाइल का प्रयोग बहुत बढ़ गया है। इस कारण से साइबर सुरक्षा व शिक्षा की जरूरत ज्यादा महसूस की जा रही है। सामान्यत: किशोर अवस्था के विद्यार्थियों को अच्छे-बुरे का ज्ञान नहीं होता है और इसी अज्ञानता के चलते कई बार वे साइबर क्राइम के जाल में फंस जाते हैं। इसलिए उनमे साइबर सुरक्षा से जुड़ी जानकारी का होना आवश्यक है |
ReplyDeleteविद्यालय के विद्यार्थियों में नेतृत्व भाव को जगाना आवश्यक है क्योंकि जबतक विद्यार्थी में नेतृत्व का भाव नहीं आता तब तक वह सफल लीडर नहीं बन पाता है|
ReplyDeleteवर्तमान परिस्थितियों स्वयं में चुनौतीपूर्ण हैं | विद्यार्थी वर्ग भी इससे अछूता नहीं है | झंझावात के थपेड़ों ने अधिगम प्रक्रिया को भी प्रभावित किया है | पारिवारिक पृष्ठभूमि, आर्थिक परिस्थितियाँ, सहपाठियों का दबाव, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य और आसपास का माहौल सभी अधिगम को प्रभावित करते हैं | जहां तक वर्तमान प्रतिकूल परिस्थितियों का प्रश्न है, विद्यार्थियों के लिए साइबर अपराध से स्वयं को सुरक्षित रखना बहुत बड़ी चुनौती है | कोरोना काल में साइबर अपराध बहुत तेज़ी से बढ़े हैं और ऑनलाइन शिक्षण में विद्यार्थी मोबाइल और इंटरनेट का प्रयोग बहुतायत से करने लगे हैं | व्यावहारिक ज्ञान के अभाव के कारण ये साइबर अपराध के शिकार बड़ी आसानी से बन जाते हैं | लॉकडाउन के पश्चात स्वयं को विद्यालयी परिस्थितियों में समायोजित करना भी उनके अधिगम की दिशा में चुनौतीपूर्ण है |
ReplyDeleteविद्यार्थियों की रूचि / क्षमताओं को पहचानना , आधारभूत ज्ञान की असमानता , आथिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि में विभिन्नता आदि
ReplyDeleteमाध्यमिक स्तर पर विद्यालय के विद्यार्थियों मे वर्तमान दौर में ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मोबाइल का प्रयोग बहुत बढ़ गया है। इस कारण से साइबर सुरक्षा व शिक्षा की जरूरत ज्यादा महसूस की जा रही है। सामान्यत: किशोर अवस्था के विद्यार्थियों को अच्छे-बुरे का ज्ञान नहीं होता है और इसी अज्ञानता के चलते कई बार वे साइबर क्राइम के जाल में फंस जाते हैं। इसलिए उनमे साइबर सुरक्षा से जुड़ी जानकारी का होना आवश्यक है
ReplyDeleteविद्यार्थी अधिगम के संदर्भ में हमारे माध्यमिक विद्यालय के विद्यार्थियों में स्वानुशासन की कमी है, उन्हें स्वानुशासित रहने के लिए प्रेरित करना पड़ता है, लेकिन इस प्रेरणा का प्रभाव क्षणिक रहता है , जिससे शिक्षकों की ज्यादातर ऊर्जा और समय बच्चों को बार-बार स्वानुशासित बनाने में निकल जाते हैं, क्योंकि आजकल विद्यार्थी वीडियो गेम , सोशल मीडिया और अन्य इंटनेट के व्यसनों में व्यस्त रहते हैं फलस्वरूप अपने पर संयम बरतने में असफल रहते हैं।
ReplyDeleteविद्यार्थियों में स्वानुशासन एवं स्वकर्तव्य बोध विकसित हो इस तरह का कोई भी प्रयास किसी भी स्तर के पाठ्यक्रम में सन्नहित नही है. केवल सूचना आधारित शिक्षा बच्चे को जड़ता की ओर ले जाती है. विद्यार्थी में नैतिक और स्वात्मबोध विकसित किये बिना न सही से पढ़ाया जा सकता है न ही उसे एक श्रेष्ठ मानवीय गुणों से युक्त कर्तव्यनिष्ठ नागरिक बनाया जा सकता है. विद्यालयों में ऐसा वातावरण निर्माण हुआ है कि विद्यार्थी छोटीं- छोटी बातों को भी बिना कहे स्वयं नहीं करतें . विद्यार्थी स्वयं सही का नेतृत्व स्वयं करना सीखे यह नितांत आवश्यक है.
ReplyDeleteद्यार्थी अधिगम के संदर्भ में हमारे माध्यमिक विद्यालय के विद्यार्थियों में स्वानुशासन की कमी है, उन्हें स्वानुशासित रहने के लिए प्रेरित करना पड़ता है, लेकिन इस प्रेरणा का प्रभाव क्षणिक रहता है , जिससे शिक्षकों की ज्यादातर ऊर्जा और समय बच्चों को बार-बार स्वानुशासित बनाने में निकल जाते हैं, क्योंकि आजकल विद्यार्थी वीडियो गेम , सोशल मीडिया और अन्य इंटनेट के व्यसनों में व्यस्त रहते हैं फलस्वरूप अपने पर संयम बरतने में असफल रहते हैं।
ReplyDeleteकिसी भी स्तर के पाठ्यक्रम में विद्यार्थियों में स्वानुशासन विकसित हो इस तरह का कोई भी प्रयास नही है, आजकल विद्यार्थी सोशल मीडिया और इंटनेट में व्यस्त रहते हैं फलस्वरूप विद्यार्थियों में स्वानुशासन की कमी है
ReplyDeleteविद्यार्थियों में यह क्षमता विकसित करना कि वे उपलब्ध संसाधनों मे सही का चुनाव कर सकें, वे मोंबाइल ,सोशल मीडिया और अन्य इंटनेट माधयम का संयमित, सुरक्षित एवम् उचित प्रयोग कर सकें।
ReplyDeleteसामान्यत: किशोर अवस्था के विद्यार्थियों को अच्छे-बुरे का ज्ञान नहीं होता है ।पारिवारिक पृष्ठभूमि, आर्थिक परिस्थितियाँ, सहपाठियों का दबाव, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य और आसपास का माहौल सभी अधिगम को प्रभावित करते हैं |विद्यार्थी वीडियो गेम , सोशल मीडिया और अन्य इंटनेट के व्यसनों में व्यस्त रहते हैंऔर इसी अज्ञानता के चलते कई बार वे साइबर क्राइम के जाल में फंस जाते हैं।
ReplyDeleteविद्यालय के विद्यार्थियों में नेतृत्व भाव को जगाना आवश्यक है क्योंकि जबतक विद्यार्थी में नेतृत्व का भाव नहीं आता तब तक वह सफल लीडर नहीं बन पाता है
ReplyDeleteविद्यालय के विद्यार्थियो मे नेतृत्व की भावना को जगाना क्योंकि विद्यार्थी मै जब तक नेतृत्व का गुण नही आता तब तक वह एक सफल लीडर नही बन सकता।
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